स्वागत

ब्लाग पर आने पाठकों के विचारों एवं सुझावों का स्वागत है.
"अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् । उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥"

31 मई 2010

हाथी दादा


Blogvani.com




हाथी दादा

हाथी दादा,उठा के बस्ता
पढने को स्कूल गए,
गुल्ली-डंडा,आँख-मिचौली
पतंग उडाना भूल गए.

बच्चे उनको खूब चिढाते
मोटू-मोटू कहते थे,
हाथी दादा कुछ न कहते
चुपचाप सुनते रहते थे.

हाथी दादा पढते खूब
कभी न जाते देर से,
परीक्षा में पास हुए
और नंबर लाए ढेर से.

मैडम ने की खूब बडाई
और दी उनको टाफी,
बच्चों ने अपनी गलती की
मांगी उनसे माफी.

उम्मीद


Blogvani.com
चिथडों में किसी तरह अपना तन छुपाये 11 वर्षीय राजू सेठ दीनदयाल के यहाँ जूठे बर्तन साफ कर रहा था.वह दो वर्षों से दीनदयाल जी के यहाँ काम कर रहा था.दीपावली नजदीक आ रही थी और उसके पास बेहतर कपडे नहीं थे.

सहसा उसे सेठ जी के बेटे निसर्ग की आवाज सुनायी दी,जो उसका हमउम्र था. निसर्ग धोबी को डांट रहा था जिसकी गलती से उसकी नई शर्ट की बांह जल गई थी.उसकी डांट-फटकार सुनकर राजू की आँखे खुशी से चमक उठी.उसे उम्मीद थी अब वह शर्ट उसे मिल जाएगी और उसे इन चिथडों में दीपावली नहीं मनानी पडेगी.

06 मई 2010

युवा लडकी






















युवा लड़की भी चाहती है
तितलियों की तरह उडना
कोयल की तरह कूकना
झरने की तरह बहना
पर
घर से गंतव्य तक नजरे झुकाए
रास्ते पर चलती है युवा लड़की
नेत्र रहकर भी
नेत्रहीन हो जाती है,युवा लड़की.

सूनसान रास्तों पर
अकेले नहीं जा सकती युवा लड़की
पदयुक्त होकर भी
पदहीन हो जाती है, युवा लड़की

अपनी आकांक्षाओं का दमन कर
अजनबी से तय किए रिस्ते
स्वीकार करती है युवा लड़की
मुख रहते भी
मुखहीन हो जाती है,युवा लड़की.

युवा लड़की भी चाहती है
गर्व करने युवा होने का
युवा लड़की को खेद होता है
अपने युवा होने पर
क्योंकि
कथित मर्यादाओं के
अमर्यादित आक्रमण का शिकार होती है युवा लड़की
फूल सी होकर भी समाज के लिए
भार होती है युवा लड़की
सपने देखने की उम्र में भी
यथार्थ का सामना करती है,युवा लड़की.


खण्डहर








खण्डहर पुकार रहे हैं
मैं बीता हुआ कल हूं
अतीत की लाश हूं
मुझे हटाओ
नया बनाओ

पर मुझे उनकी आवाज सूनाई नहीं देती
और आंखों के सामने खुली सच्चाई दिखाई नहीं देती
मैं खण्डहर भक्त हूं
खण्डहर के शत्रु मूझे समाज के शत्रु प्रतीत होते हैं
यद्यपि मैं अंधा हूं (और शायद बहरा भी)
पर दूसरे को अंधा कहने का मुझे हक है

मैंने सुन रखा है
कभी इस इमारत की अलग ही शान थी
इस इलाके में इसकी पृथक पहचान थी
मुझे बचपन से ही कथाओं से प्रेम है
अंतर केवल इतना है
पहले मै कथा केवल सुनता था
अब उन्हें सच भी मानता हूं

जोर की आवाज आई
खण्डहर की दीवारें भी गिर गई
अब यह मलबा सडक मे अवरोध पैदा कर रहा है
आने जाने वालों को दिक्कत हो रही है
पर मैं उन्हे नहीं हटाने दूंगा
आखिर आम नहीं खास हूं
एम ए पास हूं

खण्डहर कभी महल थे
यह बात सच है
खण्डहर अब केवल खण्डहर हैं
यह बात भी सच है

खण्डहर की वस्तुएं अजायबघर की शोभा बढाती हैं
घर की शोभा नष्ट करती हैं
हमारी जवाबदेही हैं
आगे आएं
खण्डहर हटाएं
नया बनाएं