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"अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् । उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥"

08 जून 2010

"घडी"


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टिक-टिक करती घडी हमारी,
समय बताती जाती है.
रंग-बिरंगी प्यारी घडियां,
हमें खूब ही भाती हैं.

बच्चे बूढे सभी पहनते,
काम बहुत ये आती है.
लापरवाही दूर भगाकर,
समय की कद्र सिखाती है.

बिना रूके चलती है हरदम,
जीना हमें सिखाती है.
चलते जाना ही जीवन है,
घडी हमें बतलाती है.

आलस छोडो बनो घडी से,
जीवन में बढ जाओगे.
उन्नति के सबसे उंची,
चोटी पर चढ जाओंगे.

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