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"अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् । उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥"

08 जून 2010

" तो फिर बात बने'"


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आज की रात बडी देर के बाद आयी है,
रात जो देर से बीते, तो फिर बात बने....

बीत जाती है घडी मिलने की बहुत जल्दी,
वक्त रूक जाए उनके आते, तो फिर बात बने....

गिले शिकवे में बीतते हैं कीमती लम्हे,
आंखो-आंखों में जो हो बात, तो फिर बात बने....

बातें रहती हैं ढेरों उनसे करने की,
खत्म हो जाए सारी बात, तो फिर बात बने....

उनसे होती है मुलाकात इक मुद्दत के बाद,
रोज दिन हो जो मुलाकात, तो फिर बात बने....

जिंदगी के दिन कट रहे हैं उनके बिन,
रात-दिन को हो उनका साथ, तो फिर बात बने....

अक्सर वो करते हैं बातें भूल जाने की,
भुला दें भूलने की बात, तो फिर बात बने....

ईश्क के दुश्मन हों जमाने में हजार सही,
दोस्त भी हों दो-चार, तो फिर बात बने....

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