31 मई 2010
उम्मीद
चिथडों में किसी तरह अपना तन छुपाये 11 वर्षीय राजू सेठ दीनदयाल के यहाँ जूठे बर्तन साफ कर रहा था.वह दो वर्षों से दीनदयाल जी के यहाँ काम कर रहा था.दीपावली नजदीक आ रही थी और उसके पास बेहतर कपडे नहीं थे.
सहसा उसे सेठ जी के बेटे निसर्ग की आवाज सुनायी दी,जो उसका हमउम्र था. निसर्ग धोबी को डांट रहा था जिसकी गलती से उसकी नई शर्ट की बांह जल गई थी.उसकी डांट-फटकार सुनकर राजू की आँखे खुशी से चमक उठी.उसे उम्मीद थी अब वह शर्ट उसे मिल जाएगी और उसे इन चिथडों में दीपावली नहीं मनानी पडेगी.
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इतने कम शब्दों में इतनी प्रभावशाली रचना बहुत कम देखने को मिलती है
जवाब देंहटाएंइस रचना के लिए धन्यवाद
gazab ki umid magar ha saho kaha he kisi ne
जवाब देंहटाएं"umid par sari dunia tiki he "
स्वागत है आपका
जवाब देंहटाएंकितना कड़वा सच है.....उम्मीद की जाली हुई शर्ट तो कम से कम मिल जायेगी
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