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"अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् । उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥"

08 जून 2010

"यूं करें अपना विरोध प्रदर्शन"


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भारत एक प्रगतिशील राष्ट्र है. राष्ट्र की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सतत् प्रयास करने के बावजूद हमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. अत: भारत को संपन्न एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए अदम्य आत्मविश्वास,कठोर परिश्रम, ईमानदारी एवं उपयोगी और व्यवहारिक नीतियों की आवश्यकता है.

लोकतांत्रिक राज्य में किसी नीति के प्रति सभी लोगों का सहमत न हो पाना स्वभाविक है परन्तु अपने विरोध प्रदर्शन के लिए हम हड्ताल, तालाबंदी एवं चक्काजाम आदि परंपरागत साधनों का प्रयोग करते हैं जिससे आम जनता के लिए अत्यंत असुविधाजक स्थिति उत्पन्न हो जाती है साथ ही राष्ट्र का विकास अवरूद्ध होता हैं. हमें असहमत होने एवं अपने विरोध प्रदर्शन का पूरा अधिकार है किंतु ध्यान रखना चाहिए कि हमारा विरोध प्रदर्शन भी राष्ट्र के लिए कल्याणकारी हो्. विरोध प्रदर्शन के परंपरागत साधनों के स्थान पर हम निम्न प्रकार से अपना विरोध प्रदर्शित कर सकते हैं :-

1- कार्यालयों में बिना अतिरिक्त वेतन के दो-चार घंटे अतिरिक्त कार्य करें.साथ ही अवकाश के दिन भी अवैतनिक कार्य करें.
2- सड्कों एवं गंदे स्थानों की साफ-सफाई करें.
3- असहायों एवं निर्धनों के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था करें.
4- बेसहारा-बीमार लोगों के लिए चिकित्सा एवं दवाओं की व्यवस्था करें.
5- रक्तदान करें.
6- पौधारोपण या इसी तरह का कोई अन्य जनोपयोगी कार्य करें.

उपर्युक्त बातों को व्यवहार में लाकर हम अपने विरोध प्रदर्शन को भी राष्ट्र के लिए कल्याणकारी सिद्ध कर सकते है साथ ही बिना द्वेष व तनाव उत्पन्न किए ही अपनी मांगे मनवाने में सफल हो सकते हैं.

3 टिप्‍पणियां:

  1. kaafi umda vichaar par kya aisa sambhav hai ki aisa virodh karne se koi labh ho...mujhe to nahi dikhta....

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  2. अदम्य आत्मविश्वास,कठोर परिश्रम, ईमानदारी एवं उपयोगी और व्यवहारिक नीतियों का ही तो यहां अभाव है .. काश आपके कहे अनुरूप सब अपना व्‍यवहार कर पाते !!

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