स्वागत

ब्लाग पर आने पाठकों के विचारों एवं सुझावों का स्वागत है.
"अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् । उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥"

31 मई 2010

हाथी दादा


Blogvani.com




हाथी दादा

हाथी दादा,उठा के बस्ता
पढने को स्कूल गए,
गुल्ली-डंडा,आँख-मिचौली
पतंग उडाना भूल गए.

बच्चे उनको खूब चिढाते
मोटू-मोटू कहते थे,
हाथी दादा कुछ न कहते
चुपचाप सुनते रहते थे.

हाथी दादा पढते खूब
कभी न जाते देर से,
परीक्षा में पास हुए
और नंबर लाए ढेर से.

मैडम ने की खूब बडाई
और दी उनको टाफी,
बच्चों ने अपनी गलती की
मांगी उनसे माफी.

6 टिप्‍पणियां:

  1. बाल-कविता के लिए तो जैसे तरस गए थे| आपने प्यास बुझा दी| अगली रचनाओं की प्रतीक्षा है|

    पेंड्रा में गर्मी कैसी है इन दिनों?

    जवाब देंहटाएं
  2. Tafi paker bola hathi oont bhi hai mera saathi
    jaise oont ke muh me jeera vaise mere muh me tafi

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर बालकविता. अफ़सोस यही है कि संभवतः बच्चे, जिनके लिए यह कविता लिखी गयी है, ब्लॉग कम पढ़ते हैं.

    जवाब देंहटाएं

आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती हैं .आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है.(सच तो यह है कि टिप्पणी प्रेमी/प्रेमिका की तरह है, जब भी दीदार हो, अच्छा लगता है.)